Saturday, August 8, 2009

प्यार के कीडे

उफ्फ्फ्फ़.....ये प्यार के कीडे;
हर garden, हर theatre को संक्रमित कर रहे है,
हर गली में बेहिचक प्रेमग्रंथ रच रहे है,
कमबख्त! ज़माने की शर्म भी नहीं करते,
समझाओ तो कहे हम किसी से नहीं डरते,
गोते लगाते रहते हैं ये दरिया-ए-इश्क में,
life इनकी रहती है totally risk में,
कामकाज, दुनियादारी से इनका दूर दूर तक वास्ता नहीं,
प्रेम के सिवा इनकी किसी और पर आस्था नहीं,
रात दिन बस ये phone पर चिपके रहते है,
एक line में 10 10 बार I LOVE U कहते है,
तू मेरी, मैं तेरा, ये तकिया-कलाम होता है,
जब सारी दुनिया सो जाए, तब sun shine होता है ,

2 comments:

J said...

kiske liye likhi hai ye poem? Agra ya Garg?
btw acchi poem hai!

J said...

waise tumhare liye bhi ho sakti hai! :P