Thursday, April 10, 2008

प्रेम

चल खो जाए अब तारों की,
चादर के हम तुम नीचे;
न फिक्र रहे, भय लगे न कोई,
बस अँखियाँ मीचे मीचे;
बस अँखियाँ मीचे मीचे,
हम तुम प्रेम के रिश्ते बोये;
गर सख्त लगे कभी ह्रदय भूमि तो,
अपने सुख दुःख सीचे;
मोती ये यादों के जो,
नैनन से झर जाए;
न रोक लगे इन पर कोई,
न कहने पर आए;
तू प्रेम के धागे से अपने,
बाँध ले इनको साथी;
हर धन से ऊंची पूँजी है,
कीमत नही जरा सी;

No comments: