चल खो जाए अब तारों की,
         चादर के हम तुम नीचे;
न फिक्र रहे, भय लगे न कोई,
         बस अँखियाँ मीचे मीचे;
बस अँखियाँ मीचे मीचे,
         हम तुम प्रेम के रिश्ते बोये;
गर सख्त लगे कभी ह्रदय भूमि तो, 
         अपने सुख दुःख सीचे;
मोती ये यादों के जो,
         नैनन से झर जाए;
न रोक लगे इन पर कोई,
         न कहने पर आए;
तू प्रेम के धागे से अपने,
         बाँध ले इनको साथी;
हर धन से ऊंची पूँजी है,
         कीमत नही जरा सी;
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