Thursday, April 10, 2008
उड़ान
कितने सारे अरमानों को,
पुरा मुझको करना है,
पंख मिले या न मिले अब,
बस मुझको तो उड़ना है.
उड़ना है उन्मुक्त गगन में,
पहुचना है तारो से दूर,
चमकना है जहाँ में ऐसे,
जैसे चमके लाल सिन्दूर,
न दिन का न ही रातो का,
फर्क अब मुझे करना है,
पंख मिले या न मिले अब,
बस मुझको तो उड़ना है.
कितने ही शिखरों को जाने,
और परास्त करना होगा,
इस भयानक अंधकार से,
जाने कब सूर्योदय होगा,
परिश्रम के इस दीपक को,
सदा यूं ही प्रज्वाल्लित रखना है,
पंख मिले या न मिले अब,
बस मुझको तो उड़ना है.
दिल करता है की बस अब उड़कर,
दूर कहीं छुप जाऊं मैं,
इसका मतलब की दुनिया में लेकिन,
कभी न वापस आऊं मैं,
पर अपने हर डर से मुझको,
बस मुझको ही लड़ना है,
पंख मिले या न मिले अब,
बस मुझको तो उड़ना है.
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1 comment:
jindagi ki asli udaan abhi baki hai,
jindagi ke kai imtihan abhi baki hai.
abhi to naapi hai muthi bhar jameen,
abhi to sara aasman baki hai.
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